नाहन: रेणुका सेवा समिति व अन्य संस्थाओं ने मिलकर आज श्री रेणुका जी झील के अस्तित्व को बचाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से एक विरोध प्रदर्शन किया।.. जिसमें उन्होंने तहसीलदार के माध्यम से एक पत्र मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु को भेजा। इस ज्ञापन में उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील का अस्तित्व खतरे में है।.. झील में बन रही गाद झील को निगल रही है। ज्ञापन में बताया गया कि झील रेणुका जी मां के रूप की आकृति में है जो लगातार लुप्त होती जा रही है। झील का ऊपरी हिस्सा चरणों का हिस्से में गाद जमा है और यह सूख रहा है। इसी तरह झील के अंदर बहुत सारे सुखे पेड़ गिरे पड़े हैं।.. और इनसे झील में बदबू आ रही है।.. समिति के सदस्यों ने बताया कि समिति व अन्य संस्थाओं के सदस्य पिछले 5-6 महीना से रविवार को श्रमदान कर झील की गाद हटाने में जुटी थी। लेकिन वन्य प्राणी विभाग द्वारा उन्हें यह करने से रोक दिया गया। इसके बाद वे 15 जून को समिति के सदस्य उपायुक्त सुमित खिमटा से मिले। इस दौरान समिति के सदस्यों ने उपायुक्त को उक्त समस्या के बारे में बताया। इसके बाद उपायुक्त के लिए वाइल्डलाइफ के डीएफओ से बात कर समिति को आश्वत किया
लेकिन उसके बाद भी इसका समाधान नहीं हुआ। इसके बाद हमें संबंधित विभाग के आरओ द्वारा एक पत्र मिला जिसमें हमारे ऊपर आरोप लगाया क्या कि हम विभाग के अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। पत्थर में लिखा कि अगर हमने जेल की सफाई की तो हमारे खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।.. और जब उन्हें पता लगे कि हम धरना प्रदर्शन करने जा रहे हैं तो हमें पत्थर दिया गया कि विभाग झीलों की खरपतवार को हटाएगा।.. लेकिन यह पत्र मात्र औपचारिक तथा जो हमारा धरना प्रदर्शन रोकने के लिए था। सेवा समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि झील में जाम गाद को साफ करवाया जाए और विभाग को इसके लिए सख्त निर्देश दिए जाएं।.. इस मौके पर रेणुका जी सेवा समिति के सदस्य कुलदीप ठाकुर, मीनाक्षी शर्मा कृष्णा शर्मा,कौशल्या शर्मा,राधा देवी, उमा देवी, रीता देवी, सीता देवी, पदमा देवी, चंद्रकला, इंदिरा देवी, रक्षा देवी, सुमित्रा देवी, संतोष देवी, मथुरा देवी आदि महिलाओं ने धरना प्रदर्शन में भाग लिया।