नाहन: प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने प्रदेश सरकार की शराब नीति को आड़े हाथों लेते हुए कहा
हिमाचल प्रदेश सरकार को सुख सोमरस प्रोत्साहन योजना प्रारंभ करने की नौबत आ गई है।
गत दिनों ठेकों की नीलामी ना होने की स्थिति में 250 से अधिक शराब के ठेकों को प्रदेश सरकार भिन्न निगमों व बोर्ड के माध्यम से चलवा रही है और कहीं मल्टीटास्क वर्कर, तो कहीं निगम और बोर्ड के चतुर श्रेणी कर्मचारी उन ठेकों पर सेल कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं ।सेल बढ़ाने की दृष्टि से अब सरकार ने उनको ₹10 प्रति बोतल प्रोत्साहन देने का फैसला किया है जिसकी फाइल वित्त विभाग से पारित हो गई है। गत दो माह में आत्मनिर्भरता वाली सरकार ने डेढ़ करोड़ के घाटे का सामना कर लिया है। शराब के ठेकों पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाली सरकार की व्यवस्था परिवर्तन की पोल खुल गई है।चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर अत्याचार के आदेश लिखकर सरकार इस तरह से आर्डर पारित कर रही है जैसे हिटलर के राज में हुआ करते थे। जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां जिस कार्य के लिए नहीं हुई हैं उनसे जबरन शराब बीकवाई जा रही है और उन्हें शराब के ठेकों पर सोने के लिए विवश किया जा रहा है। गत वित्त वर्ष 23 एवम 24 में बयान वीर सरकार ने विधानसभा में 40% की वृद्धि का आंकड़ा प्रस्तुत किया था।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा के पटल पर अपने बयान में कहा था कि पूर्व सरकार में जो नीलामी 1296 करोड़ में की हमने 1815 करोड़ में की है अर्थात 519 करोड़ का अतिरिक्त रेवेन्यू प्रदेश सरकार को वित्तीय वर्ष में प्राप्त होगा । अपितु वित्त वर्ष समाप्ति के पश्चात सरकार आज तक अनुमानित आंकड़े को व्यावहारिक राजस्व कितना प्राप्त हुआ नहीं बता पाई जो इस बात को प्रमाणित करता है की सरकार की नीति पूर्णता फेल हुई है। बढ़ोतरी केवल जुमले तक सीमित थी ।
वित्तीय वर्ष की समाप्ति होते-होते उनकी नीतियों का हश्र क्या हुआ सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए। वित्त वर्ष 23 एवं 24 के अंतर्गत जिन ठेकों की नीलामी हुई उनकी भी देन दारिया अभी तक सरकार को प्राप्त नहीं हुई है और यह सरकार 519 करोड़ से ₹10 प्रति बोतल प्रोत्साहन राशि पर आ गई है। मित्रों की टोली के सदस्य डॉ हर्षवर्धन चौहान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था की वित्त वर्ष 25 एवं 26 में 2850 करोड़ का राजस्व प्राप्ति का टारगेट प्रदेश सरकार का है। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर और क्या-क्या करेगी सुख की सरकार अनुमान लगाना मुश्किल है। कर्मचारियों को डी.ऐ, एरियर की किश्त के आश्वासन के पश्चात अब ठेकों पर कार्यरत 200 कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि ₹10 प्रति बोतल का आश्वासन मिल गया है। जिन महिलाओं को ₹1500 का आश्वासन दिया था आज वह इन्हीं ठेकों के बाहर ठेके बंद करने के नारे लगाकर इस सरकार के पुतले फूंक रही हैं।
वह दिन दूर नहीं जब महात्मा गांधी के नाम पर खादी बोर्ड की दुकानों पर भी सोमरस बेचता हुआ खादी बोर्ड पाया जाएगा।
व्यवस्था परिवर्तन की इस सरकार में बेरोजगारों के माता-पिता ने भी सरकार के आगे हाथ जोड़कर कहना प्रारंभ कर दिया है कि
हम अपने बच्चों को ढाबों पर काम करवा लेंगे लेकिन सुक्खू सरकार में नौकरी नहीं लगवाएंगे।
आर्थिक आत्म निर्भरता के साथ प्रदेश के स्वर्णिम इतिहास में एक समस्या बेरोजगारी भी समाप्त हुई।