नाहन: हिमाचल प्रदेश नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ जिला सिरमौर की बैठक DIET नहान में आयोजित हुई जिसमें केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के हजारों करोड़ रुपए वापिस करने का निवेदन किया गया। जिला अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर, जिला उपाध्यक्ष जगदीश परमार, उपाध्यक्ष जगमोहन सिंह ,खंड अध्यक्ष नहान संदीप कश्यप,खंड अध्यक्ष पौटा साहिब बी आर सिंगटा,जिला महिला विंग सचिव कुमारी संध्या चौहान, शिलाई के पूर्व खंड अध्यक्ष सुरेश सिंगटा,नोहरा खंड प्रतिनिधि शशिपाल चौहान, संगडाह से राजेंद्र झामटा एवं लाल सिंह ठाकुर, सुरेश चौहान ,सी एंड वी शिक्षक संघ जिला अध्यक्ष यशपाल ठाकुर, सराहा खंड से चेतन शर्मा , जिला कार्यकारिणी से अजय ठाकुर, जयपाल , सनू राम आदि दर्जनों सदस्यों ने बैठक में भाग ले कर कहा कि हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली के उपरांत NSDL को कर्मचारियों की जमा निधिबको जारी रखने का अधिकार नहीं हैं यदि कर्मचारी उस धन को वापिस लेना चाहते हैं । लगभग 10 हजार करोड़ की इस राशि में 10 प्रतिशत कर्मचारियों का तथा 14% हिमाचल सरकार की भागीदारी हैं। बैठक में चर्चा की गई कि हिमाचल प्रदेश सरकार पर ओ पी एस के स्थान पर यू पी एस बदलने के दबाव के बावजूद भी जिस प्रकार से हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी तथा सम्पूर्ण मंत्रिमंडल ने जिस प्रकार अपनी गारंटी के अनुरूप पुरानी पेंशन को जारी रखने का निर्णय लिया संघ उसके लिए सरकार तथा मंत्रिमंडल का आभार व्यक्त कर्ता हैं ।
संघ जिला अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि विभिन्न माननीय राज्य उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालयों में भी पुरानी पेंशन को सरकार का उत्तरदायित्व माना हैं न कि बोझ। संघ अध्यक्ष ने पुरानी पेंशन के नाम पर भ्रमित करने वाली सभी अफवाहों का पुरजोर खंडन करते हुए कहा कि किसी भी विभाग में किसी भी पद के सृजन से पूर्व इस पद पर नियुक्ति से सेवानिवृति तक के संपूर्ण खर्च के अनुमान के बाद ही पद को सृजित किया जाता हैं अतः अचानक से सेवा निवृति के उपरांत के लाभ को आर्थिक बोझ तथा अन्य विकासात्मक कार्यों में बाधा बताना गैरतार्किक हे। यदि सरकार के कोषागार विभाग से कर्मचारियों से सम्बन्धित आंकड़ों को एकत्र किया जाए तो वर्तमान में एवं आगामी कई वर्षों तक भी यूं पी एस से बेहतर विकल्प हे। जहां यू पी एस में प्रति माह कर्मचारियों के वेतन पर सरकार को 18% अधिक राशि नियोक्ता के रूप में जमा करवानी होगी वहीं कर्मचारियों के वेतन का 10% हिस्सा भी एनएसडीएल कंपनी में जमा होगा तथा यह संपूर्ण राशि शयर मार्किट में निवेश होगी जो पूरी तरह से जोखिम से भरा हैं। साथ ही कर्मचारियों द्वारा जी पी एफ में जमा की जा रही 30 से 50% प्रतिशत वेतन का प्रावधान भी यू पी एस से बंद हो जाएगा। संघ के नेताओं ने निवेदन किया कि कर्मचारियों के मसलों पर सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णयों में कर्मचारियों के हितों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए तथा कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की भागीदारी भी अवश्य सुनिश्चित को जानी चाहिए ताकि वह किसी भी योजना को बेहतर समझ सके तथा सरकार की नीतियां परस्पर सामंजस्य से व्यहारिक रूप से लागू हो सके।
केंद्र सरकार वापिस करवाये एनएसडीएल कंपनी में फंसी हिमाचल के कर्मचारियों की पूंजी…
By Ajay Dhiman