
नाहन: शोषण मुक्ति मंच हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी रोहड़ू क्षेत्र में एक बार फिर समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली घटना जो सामने आई है उसकी कड़ी निंदा करता है, मंच के राज्य संयोजक आशीष कुमार, सह संयोजक राजेश कोष, मिंटा जिंटा ने कहा की
पहली कक्षा के एक दलित बच्चे को उसके शिक्षक ने इतनी बेरहमी से पीटा कि उसका कान का पर्दा फट गया, और अमानवीय रूप से उसके कपड़े उतारकर शरीर पर बिच्छू बूटी लगाई गई।
यह केवल शारीरिक हिंसा नहीं, बल्कि गंभीर जातिगत उत्पीड़न और संविधान प्रदत्त समानता व गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। यह कोई पहली घटना नहीं है। इसी क्षेत्र में पहले एक महिला अध्यापिका द्वारा छात्र को कांटेदार झाड़ी से पीटने की घटना सामने आ चुकी है।
साथ ही, लिंबरा (रोहड़ू) में जातीय उत्पीड़न के कारण सिकंदर की संदिग्ध मौत ने पहले ही पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था।
इन घटनाओं की श्रृंखला बताती है कि शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव और हिंसा अब भी गहराई तक फैली हुई है।यह घटना न केवल SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दंडनीय है, बल्कि यह बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानूनों का भी गंभीर उल्लंघन है
RTE Act, 2009 की धारा 17 के अनुसार किसी भी बच्चे को स्कूल में शारीरिक या मानसिक दंड देना पूर्णतः प्रतिबंधित है।
POCSO Act, 2012 (Protection of Children from Sexual Offences Act) की धारा 5 एवं 9 के तहत किसी भी बच्चे को अपमानित, निर्वस्त्र या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना एक गंभीर आपराधिक अपराध है। शोषण मुक्ति मंच ने इसमें दोषी शिक्षक के विरुद्ध SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, POCSO Act, 2012, और RTE Act, 2009 की धारा 17 के तहत तुरंत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की जाने। पीड़ित बच्चे के परिवार को कम से कम ₹10 लाख का मुआवजा, सुरक्षा, तथा मानसिक-सामाजिक पुनर्वास सहायता प्रदान किये जाने व संबंधित स्कूल प्रबंधन व शिक्षा विभाग की भूमिका की जाँच कर कड़ी कार्रवाई किये जाने की मांग की।
शोषण मुक्ति मंच हिमाचल प्रदेश मे बढ़ रही उत्पीड़न की घटना के विरोध में 17 नवम्बर को प्रदेशभर के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगा,
और बढ़ते जातीय उत्पीड़न के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ेगा।
