नाहन: निजी शिक्षण संस्थान अब कमाई का धंधा करने वाले संस्थान बनकर रह रहे गए हैं जिनका उद्देश्य केवल पैसा कमाना है। वे किस तरह से पैसा कमाए यह उसी में लगे रहते हैं। बच्चों की स्कूल फीस, किताबें व अन्य ड्रेस, अन्य प्रोजेक्ट से कमीशन मिलने के बाद भी इनका पेट नहीं भरता तो यह अन्य योजनाएं भी बनाते हैं जहां से वसूली हो सके। ऐसा ही कुछ नाहन का एक निजी स्कूल भी कर रहा है।…. जी हां यह स्कूल हर इन दिनों स्कूल के एक कार्यक्रम के लिए टिकट बंटवा रहा है।..निजी स्कूल ने मिडल क्लास से लेकर बड़ी क्लास के बच्चों को टिकट बांटने का काम सौपा हुआ है।.. जिसमें बच्चों को टारगेट दिए गए हैं।.. अब बच्चा पढ़ाई करें या फिर स्कूल के टिकट बांटे। आज भी दिल्ली गेट पर कई स्कूलों के बच्चों को सड़क में इधर-उधर भागते हुए टिकट बाटते देखा गया। एक टिकट ₹50 में बेचा जा रहा है।.. स्कूल के अध्यापकों को उनसे कुछ लेना-देना नहीं उन्हें तो केवल टिकट से वसूली के पैसे से मतलब है।… स्कूल में अभिभावक पहले ही स्कूल को अच्छी फीस देते हैं। लेकिन इसके बाद भी उनके लाडलो को इस तरह सड़कों पर उड़ाया जा रहा है।… बिराल कोई भी अभिभावक इसमें आगे नहीं आ रहा है क्योंकि वह उनके करियर को लेकर चुप रहते हैं।…. सेवा हर स्टूडेंट का कर्तव्य है कि अपने स्कूल में साफ सफाई हुआ पौधारोपण करें। लेकिन स्कूल के लिए मेवा इकट्ठा करना बच्चों का कर्तव्य नहीं है।.. और मां-बाप को भी चाहिए कि वह ऐसे स्कूल के खिलाफ विरोध करें जो बच्चों को इस तरह से टिकट बेच पैसे की उगाही में लगाते हैं।..स्कूल प्रशासन यहां पर स्टाफ की ड्यूटी लगा टिकट बेच सकता है।… लेकिन स्कूल प्रशासन ऐसा कुछ नहीं कर रहा है।… शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसमें एक्शन लेना चाहिए।